Sunday, 5 April 2020

आज महाराजा दशरथ चल बसे - Ramayan ka Zaruri Gyan

आज महाराजा दशरथ चल बसे। मेरा मन बहोत व्यथित हुआ वह दृश्य देख के। महाराजा दशरथ को अपने अंतिम समय में याद आया वह श्राप जो श्रवण कुमार के पिता ने उन्हें दिया था। एक बार श्रवण कुमार अपने माता पिता जो प्यासे थेः उनकी प्यास भुजाने  के लिए सिरायुः नदी के तट  पर पानी लेने गए थे, तभ महाराजा दशरथ ने उन्हें हाथी या किसी जानवर को जानते हुए  पानी की आवाज़ को सुनतें हुए यह देखे बगैर की वहा  कौन  हे ''शब्द भेदी बाण  चला दिया। उस शब्द भेदी बाण से निर्दोष श्रवण कुमार की मौत हो गयी। महाराज , श्रवण कुमार के माता पिता को पानी पिलाने और अपनी गलती की क्षमा मांगने श्रवण कुमार क माता पिता के पास गए ।  महाराज ने रोते -रोते  यह खबर उन्हें  बताई जिसे सुन कर उनकी माँ उसी वक़्त परलोक सिधार  गयी और पिता ने यह  श्राप देकर प्राण त्याग दिए  की "जिस तरह में पुत्र वियोग में मर रहा हु उसी तरह तुम भी पुत्र वियोग में मरोगे"। 
देखिये राजा दशरथ जैसे चक्रवर्ती राजा को भी अंत में अपनी भूलवश किये पाप की सजा भुगतना  पढ़ी और वोह भी उस पाप की जिसका उन्हें दिल से बहोत पछतावा था।  तोह आप और हमको तोह स्वयं विचार करना चाहिए की हमने तोह कितने निर्दोष जीवो की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से घात किया है, और जिसका हमे कोई पछतावा भी नहीं, तोह क्या हमे उसकी सजा नहीं भुगतनी पड़ेगी  .... ? भुगत रही है आज पूरी मानव जाती इस locked down  के ज़रिये। इटली , स्पेन, अमेरिका, चीन और भारत यहाँ जितनी जन  हानि हुयी है वह सब  इसी का फलस्वरूप हे। 
कुछ लोग सोच रहे होंगे की हमने तोह कभी अंडा भी नहीं हाथ लगाया फिर हमे क्यों सजा मिल रही है।  तोह मत भूलिए आपने भले ही प्रत्यक्ष हिंसा में भाग न लिया हो लेकिन अप्रत्यक्ष हिंसा बहोत की है। जो कॉस्मेटिक्स, क्रीम, लिपस्टिक , मस्कारा , साबुन , सर्फ़, चमड़े के जुते , पर्स ,इत्यादि वस्तुओं  का आप इस्तेमाल करते है वह भी किसी न किसी निर्दोष प्राणी की हत्या करके ही बनती है। उसके बनने में भी किसी माँ का   उसके बच्चे से बिछड़ने  का दुःख शामिल है , किसी जीव के तन के कटते समय होने वाली वेदना शामिल हे । इस अप्रत्यक्ष हिंसा का पाप और उसका फल भी आपको ही  भोगना होगा। 
इसलिए मेरी सभी से प्रार्थना है की मूक जीवो की हत्या कर उन्हें खाना बंध  कीजिये और उनके मृत शरीर से बनने वाली वस्तुओं का परित्याग कीजिये नहीं तोह कोरोना क्या ऐसी महामारी फैलेगी की पूरी धरती पर मनुष्य त्रहिमान -त्राहिमाम करेगा। 
हे प्रभु श्री राम सब जीवो को सद्बुद्धि दीजिये कोई किसी को दुःख न दे और श्री कृष्ण के उपदेश को अपनाये "जीयो और जीने दो "
बोलो प्रभु श्रीराम की जय !!
जय श्रीकृष्ण।