35℃ से 40℃ में 8 से 10 घंटे ppe किट पहनने के बाद का हाल बता रही है ये पसीने से लथपथ पीठ और शर्ट।
उस दौरान न पानी न और कुछ।
नर्सेस,डॉक्टर्स और अस्पताल स्टॉफ सभी इस दौर से गुजरते हैं तब कोरोना से आपको बचाते हैं चाहे खुद बचें या नहीं।
ये पसीना नहीं देश के माथे पर लगा तिलक है!
ये पसीना नहीं गंगा जल के समान पवित्र है!
ये पसीना नहीं तीर्थ की मिट्टी है!
ये पसीना नहीं सीमा का प्रहरी है!
ये पसीना नहीं माँ का आँचल है!
ये पसीना नहीं तिरंगे का अशोक चक्र है!
ये पसीना नहीं दिल की धड़कन है!
ये पसीना नहीं देश के आसमान पर टंगा इंद्र धनुष है
जब जब देश के इतिहास में इस महामारी का नाम आएगा तब ये पसीना देश की देह का लहू बनकर सामने आएगा।
इसकी तारीफ के लिए शब्द कम होंगे लेकिन इसका सम्मान कम न होगा!
इन सभी पसीना बहाने वाले योद्धाओं को समर्पित
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