*गहरा ज्ञान।*
एक नदी में “बाढ़”आती है ,छोटे से टापू में पानी भर जाता है ,
वहां रहने वाला “सीधा साधा” एक “चूहा” -“कछुवे” से कहता है मित्र " क्या तुम मुझे “नदी पार” करा सकते हो ???
मेरे “बिल में पानी” भर गया है ??
”कछुवा” राजी हो जाता है ...तथा - “चूहे” को अपनी “पीठ”पर बैठा लेता है।
तभी - एक “बिच्छु”भी ,बिल से बाहर आता है,...ओर कहता है :- मुझे भी ,”पार” जाना है मुझे भी ,ले चलो।
”चूहा”बोला - मत बिठाओ .....ये “जहरीला”है .....ये मुझे “काट”लेगा।
तभी समय की नजाकत को भांपकर....
“बिच्छू”बड़ी “विनम्रता” से “कसम” खाकर ....”प्रेम प्रदर्शित” करते हुए ,कहता है भाई -“कसम “से नही “काटूंगा”...बस -“मुझे” भी ,ले चलो।"
”कछुआ” - “चूहे और बिच्छू”को ले , “तैरने” लगता है।
तभी -“बीच रास्ते”मे - “बिच्छु” “चूहे” को - “काट” लेता है।
🤭😡
”चूहा” - “चिल्लाकर” कछुए से बोलता है :- "मित्र”- इसने “मुझे काट” लिया ....
अब - मैं - नही “बचूंगा”।"
थोड़ी देर बाद - उस “बिच्छू “ने -“कछुवे” को भी,”डंक” मार दिया.....
”कछुवा मजबूर” था ....
जब तक किनारे पहुंचा ,”चूहा मर चुका “ था।
कछुआ बोला :- मैं तो “इंसानियत” से “मजबू₹”था .....
तुम्हे -“बीच मे नहीडुबोया" मगर - “तुमने” मुझे क्यों “काट “लिया ??
*”बिच्छु” उसकी पीठ से उतरकर ,जाते जाते बोला:- "मूर्ख”.... तुम जानते नही ....? मेरl तो- “धर्म” ही है :- “डंक मारना”, चाहे - “कोई” भी ,हो???"*
*गलती “तुम्हारी” है .....जो - “तुमने” “मुझ पर विश्वास” किया....*?
*ठीक इसी तरह :- “कोरोना “की इस “बाढ़” में - “सरकार”ने भी ,”नदी पार करवाने” के लिए- “कुछ बिच्छुओं” को - “पीठ” पर “बिठा” लिया है।*
*”वे “ - “लगातार”... “डंक” मार रहे है .....और - “सरकार”- “इन्सानियत” की “खातिर” ....”मजबूर” हैं ....*।
*फलस्वरूप :- बेचारे “निर्दोष “- डॉक्टर...,पुलिस...,और ...“स्वास्थ्यकर्मी” “मर” रहे हैं...।*
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