Saturday, 11 April 2020

अपने सनातन हिंदू धर्म संस्कृति शास्त्रों - Jaane aur Saaja Kare

आपने अपने सनातन हिंदू धर्म संस्कृति शास्त्रों का एवं ब्राह्मणों का खूब मज़ाक उड़ाया था जब वह यह कहते थे कि जिस व्यक्ति का आप चरित्र न जानते हों, उससे जल या भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए । क्योंकि आप नहीं जानते कि अमुक व्यक्ति किस विचार का है , क्या शुद्धता रखता है ,कौन से गुण प्रधान का है , कौन सा कर्म करके वह धन ला रहा है , शौच या शुचिता का कितना ज्ञान है , किस विधा से भोजन बना रहा है , उसके लिए शुचिता या शुद्धता के क्या मापदंड हैं इत्यादि !!! 

जिसका चरित्र नहीं पता हो , उसका स्पर्श करने को भी मना किया गया है । यह बताया जाता था कि हर जगह पानी और भोजन नहीं करना चाहिए , तब English में american और british accent में आपने इसको मूर्खता और discrimination बोला था !! 

बड़ी हँसी आती थी तब !!!! बकवास कहकर आपने अपने ही शास्त्र और ब्राह्मणों को दुत्कारा था । 
और आज ???????? 
यही जब लोग विवाह के समय वर वधु की 3 से 4 पीढ़ियों का अवलोकन करते थे कि वह किस विचारधारा के थे ,कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं , किस height के थे , कितनी उम्र तक जीवित रहे , खानदान में कोई वर्ण संकर का इतिहास तो नहीं रहा इत्यादि ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि आने वाली सन्तति विचारों और शरीर से स्वस्थ्य बनी रहे और बीमारियों से बची रहे , जिसे आज के शब्दों में GENETIC SELECTION बोला जाता है । 
जैसे आप अपने पशु चाहे वह कुत्ता हो या गाय हो का गर्भाधान कराते हैं तो यह ध्यान रखते हैं कि अमुक कुत्ता या बैल हृष्ट पुष्ट हो , बीमारी विहीन हो , अच्छे "नस्ल" का हो । इसीलिए वीर्य bank बना जहाँ अच्छे sperms की उपलब्धता होती है । ऐसा तो नहीं कहते न कि इसको जिससे प्रेम हो उससे गर्भाधान करा लें । तब तो समझ रहे हैं न कि आपकी कुतिया या गाय का क्या हश्र होगा और आने वाली generation क्या होगी  !!!!! 
पर आप इन सब बातों पर हंसते थे । यही शास्त्र जब बोलते थे गंगा जल सबसे ज्यादा पवित्र उसके बाद बहती नदी, कुंओ का जल ही शरीर को शुद्ध करता है और कोई तत्व नहीं , बड़ी हँसी आयी थी आपको !!  तब आपने बकवास बोलकर  शोंच के पश्चात पिछवाड़ा tissue paper से साफ करने लगे , खाना खाने के बाद जल से हाथ धोने की बजाय tissue पेपर से पोंछ कर इतिश्री कर लेते थे । आप से मेरी निजी घटना शेयर करना चाहूंगा जब 98 वर्ष के हमारे पिताजी अस्पताल में ह्रदय मांसपेशियों से संबंधित बिमारी से  जयपुर अस्पताल में भर्ती थे चार रोज वेंन्टीलेटर रहकर दूसरे बिस्तर पर शिफ्ट किया शौच की इच्छा जताई सफाईकर्मी ने सुविधा उपलब्ध कराने के पश्चात उन्हें लिटाया गया तो उन्होंने मेरे बेटे को शिकायत की कहां  मुझे उस सफाईकर्मी ने अपवित्र कर दिया उसने मेरी शौच को पानी से नहीं धोया यूं ही कागज से पोछकर यूं ही सुला दिया अब मेरे सारे कपड़े उतारकर दूसरे कपड़े पहनावे,मेरी चद्दर , तकिया सब बदलो  हमारा बुलाया कभी भी आ सकता है हम पुरी जिन्दगी पवित्रता को लिए जीते रहे उसके घर अपवित्र नहीं जायेंगे.. यह जज्बा था उस सनातन हिंदू धर्म संस्कृति के संस्कारों से युक्त जीवनशैली वाले एक ब्राह्मण का
जनाब....और अब ???? 
जब यही ब्राह्मण और शास्त्र बोलते थे कि भोजन ब्रह्म के समान है और यही आपके शरीर के समस्त अवयव बनाएंगे और विचारों की शुद्धता और परिमार्ज़िता इसी से संभव है इसलिए भोजन को चप्पल या जूते पहनकर न छुवें । बड़ी हँसी आयी थी आपको !! Obsolete कहकर आपने खूब मज़ाक उड़ाया !!!  जूते पहनकर खाने का प्रचलन आपने दूसरे देशों के आसुरी समाज से ग्रहण कर लिया । Buffet system बना दिया । उन लोगों का मजाक बनाया जो जूते चप्पल निकालकर भोजन करते थे । 

अरे हमारी कोई भी पूजा , यज्ञ, हवन सब पूरी तरह स्वच्छ होकर , हाथ धोकर करने का प्रावधान है । 
पंडित जी आपको हाथ में दुर्वा से जल देकर हस्त प्रक्षालन के लिए बोलते हैं । आपके ऊपर जल छिड़ककर मंत्र बोलते हैं :- 

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः ॥
ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।

तब भी आपने मजाक उड़ाया । 

जब सनातन धर्मी के यहाँ किसी के घर शिशु का  जन्म होता था तो सूतक लगता था । इस अवस्था में ब्राह्मण 10 दिन , क्षत्रिय 15 दिन , वैश्य 20 दिन और शूद्र 30 दिन तक सबसे अलग रहता है । उसके घर लोग नहीं आते थे , जल तक का सेवन नहीं किया जाता था जब तक उसके घर हवन या यज्ञ से शुद्धिकरण न हो जाये । प्रसूति गृह से माँ और बच्चे को निकलने की मनाही होती थी । माँ कोई भी कार्य नहीं कर सकती थी और न ही भोजनालय में प्रवेश करती थी । इसका भी आपने बड़ा मजाक उड़ाया । ये नहीं समझा कि यह बीमारियों से बचने या संक्रमण से बचाव के लिए Quarantine किया जाता था या isolate किया जाता था । 
प्रसूति गृह में माँ और बच्चे के पास निरंतर बोरसी सुलगाई रहती थी जिसमें नीम की पत्ती, कपूर, गुग्गल इत्यादि निरंतर धुँवा दिया जाता था । उनको इसलिए नहीं निकलने दिया जाता था क्योंकि उनकी immunity इस दौरान कमज़ोर रहती थी और बाहरी वातावरण से संक्रमण का खतरा रहता था ।
लेकिन आपने फिर पुरानी चीज़ें कहकर इसका मज़ाक उड़ाया और आज देखिये 80% महिलाएँ एक delivery के बाद रोगों का भंडार बन जाती हैं कमर दर्द से लेकर , खून की कमी से लेकर अनगिनत समस्याएं  । 

सनातन हिंदू धर्म संस्कृति में
ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शुद्र के लिए अलग Quarantine या isolation की अवधी इसलिए क्योंकि हर वर्ण का खान पान अलग रहता था , कर्म अलग रहते थे जिससे सभी वर्णों के शरीर की immunity system अलग होता था जो उपरोक्त अवधि में balanced होता था । 

ऐसे ही जब कोई मर जाता था तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था । यही Isolation period था । क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है । यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया । 

अरे जो शव को अग्नि देता था  या दाग देता था । उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक । उसका खाना पीना , भोजन , बिस्तर , कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे । तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात , सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।  

तब भी आप बहुत हँसे थे ।  bloody indians कहकर मजाक बनाया था !!! 

जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी । और नारीवादियों को कौन कहे  , वो तो दिमागी तौर से अलग होती हैं , उन्होंने जो ज़हर बोया कि उसकी कीमत आज सभी स्त्रियाँ तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर चुका रही हैं । 

जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके , कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है ,  इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने । 

आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं । जब कोई भी बहु , लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर , हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों ,तब तक । 
खूब मजाक बनाया था न । 
इन्हीं सवर्णों को और ब्राह्मणों को अपमानित किया था जब ये गलत और गंदे कार्य करने वाले , माँस और चमड़ों का कार्य करने वाले लोगों को तब तक नहीं छूते थे जब तक वह स्नान से शुद्ध न हो जाये ।  ये वही लोग थे जो जानवर पालते थे जैसे सुवर, भेड़ , बकरी , मुर्गा , कुत्ता इत्यादि जो अनगिनत बीमारियाँ अपने साथ लाते थे । ये लोग जल्दी उनके हाथ का छुवा जल या भोजन नहीं ग्रहण करते थे तब बड़ा हो हल्ला आपने मचाया और इन लोगों को इतनी गालियाँ दी कि इन्हें अपने आप से घृणा होने लगी । 
यही वह गंदे कार्य करने वाले लोग थे जो प्लेग , TB , चिकन पॉक्स , छोटी माता , बड़ी माता , जैसी जानलेवा बीमारियों के संवाहक थे ,और जब आपको बोला गया कि बीमारियों से बचने के लिए आप इनसे दूर रहें तो आपने गालियों का मटका इनके सिर पर फोड़ दिया और इनको इतना अपमानित किया कि इन्होंने बोलना छोड़ दिया और समझाना छोड़ दिया । 

आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं । Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं । 

जब शास्त्रों ने बोला था तो ब्राह्मणवाद बोलकर आपने गरियाया था और अपमानित किया था । 

आज यह उसी की परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है । 
याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को । 
यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।  
शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें । 
लेकिन सब आपने भुला दिया ।। 
आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और ब्राह्मणों को अपमानित करने में , उनको भगाने में जो आनंद आता है शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता । 

अरे वामपंथीयो  !! अपने शास्त्रों के level के जिस दिन तुम हो जाओगे न तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा ।  

तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति के मूर्ख 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए । 

अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो । उनको मानो  ।  बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है । उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके । 

अरे कुछ भी हो सनातनी हिन्दू संस्कारों वाले पांडित्य आचार्य से ही पूछ लिया करो शायद वो ही कुछ मदद कर दे । लेकिन गाली मत दो , उस स्मृति को जलाने का दुष्कृत्य मत करो । 

आपको बता दूँ कि आज जो जो Precautions बरते जा रहे हैं , मनुस्मृति उठाइये , उसमें सभी कुछ एक एक करके वर्णित है । 

लेकिन आप पढ़ते कहाँ हैं , दूसरे वामपंथी,पाश्चयातिक संस्कृति की बातों में आकर प्रश्नचिन्ह उठायेंगे और उन्हें जलाएंगे । 

यह आलेख सोशल मीडिया की खबरों से वैसे ही लम्बी हो गयी है अन्यथा वह सारी बातें यहाँ श्लोक सहित डालता । 
काश एक platform मिलता और mic मिल जाता तो घण्टों घण्टों बोलता और आपको एक एक अवयव से रूबरू करवाता और पूरी तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण लेकर । क्योंकि जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा , वह शास्त्र वेद पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है , corelate कर सकता है और समझा भी सकता है । 

भले अभी इस निकृष्ट संविधान की आप लोग दुहाई दे रहे हों । 
लेकिन मेरी यह बात स्वर्ण अक्षरों में लिख लीजिये कि सनातन हिंदू धर्म संस्कृति मनुस्मृति से सर्वश्रेष्ठ विश्व में कोई संविधान नहीं बना है और एक दिन पूरा विश्व इसी मनुस्मृति संविधान को लागू कर इसका पालन करेगा । 
Note it down !! Mark my words again !! 

मुझे आप गालियाँ दे सकते हैं । 
मुझे नहीं पता कि आप इतनी लंबी पोस्ट पढ़ेंगे या नहीं लेकिन मेरा काम है आप लोगों को जगाना , जिसको जगना है या लाभ लेना है वह पढ़ लेगा । 
यह भी अनुरोध करता हूँ कि सभी ब्राह्मण बनिये ( भले आप किसी भी जाति से हों ) और सनातन हिंदू धर्म संस्कृति का पालन कीजिये इससे इहलोक और उहलोक दोनों  सुधरेगा