Wednesday, 27 May 2020

हम डरते थे - कभी तन्हाई से बीमार न पड़ जायें।

हम डरते थे  
 कभी तन्हाई से बीमार न पड़ जायें
अब महफ़िलो से ख़ौफ़ है  कि रोग न ले आये

 न जाने कैसी गुश्ताखी  कर गये,
कि चेहरे पर नक़ाब लगाने पड़ गये।

इस घुटन से कब निकल पाएँगे,
खुली हवा में साँस कब ले पाएँगे।

उन्हें शिकायत है कि घर पर नहीं मिलते,
अब हैं तो वो घर के पास भी नहीं फटकते।

कोरोना हमारा क़ीमती ख़ज़ाना ले गया,
दोस्तों के साथ बैठे  जैसे ज़माना हो गया !
                           🙏🙏😁🌹🙏🙏