संकट की इस घड़ी में कोई भी व्यक्ति टीवी, फ्रिज, मोबाइल, कार लेने नहीं दौड़ा... दौड़ा तो अन्न लेने.. वही अन्न जो किसान उगाता है.. वही किसान जो तथाकथित लोगों की निगाह में , गाँव वाला,गरीबी वाला,गोबर वाला ,गवांर है...
आज बड़े-बड़े उद्योगो में पड़ गए ताले,
लेकिन किसान के चलते किसी घर में नहीं पड़े खाने के लाले ।
जय जवान-जय किसान..... जय माँ अन्नपूर्णा
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