Tuesday, 16 June 2020

जो वायरस,साबुन,हैंड वाश,सेनेटाइजर से खत्म हो जाता है।

*विचित्र किंतु सत्य*
🐡🐡🐡🐡🐡 
*जो वायरस,साबुन,हैंड वाश,सेनेटाइजर से खत्म हो जाता है।*
*🧴🧴उसकी दवाई नहीं बन पा रही है।*
🤔🤔🤔🤔🤔🤔

Mythology explains life - पहली बात, महाभारत में.. आज ही साझा करें।

Mythology explains life...

*पहली बात,*
*महाभारत में*
*कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछी...*

मेरी माँ ने मुझे जन्मते ही त्याग दिया,
क्या ये मेरा अपराध था कि मेरा जन्म
एक अवैध बच्चे के रूप में हुआ?

*दूसरी बात*
*महाभारत में*
*कर्ण ने श्रीकृष्ण से पूछी...*

दोर्णाचार्य ने मुझे शिक्षा देने से मना
कर दिया था क्योंकि वो मुझे क्षत्रीय
नहीं मानते थे, क्या ये मेरा कसूर था.

*तीसरी बात*
*महाभारत में*
*कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछी...।*

द्रौपदी के स्वयंवर में मुझे अपमानित
किया  गया,  क्योंकि  मुझे  किसी
राजघराने का कुलीन व्यक्ति नहीं
समझा गया.

*श्री कृष्ण मंद मंद मुस्कुराते*
*हुए कर्ण को बोले, सुन...*

हे कर्ण, मेरा जन्म जेल में हुआ था.
मेरे पैदा होने से पहले मेरी मृत्यु
मेरा   इंतज़ार   कर   रही   थी.
जिस रात मेरा जन्म हुआ, उसी रात
मुझे माता-पिता से अलग होना पड़ा.
मैने गायों को चराया और गायों के
गोबर को अपने हाथों से उठाया.
जब मैं चल भी नहीं पाता था, तब
मेरे ऊपर प्राणघातक हमले हुए.
      मेरे पास
कोई सेना नहीं थी,
कोई शिक्षा नहीं थी,
कोई गुरुकुल नहीं था,
कोई महल नहीं था,
       फिर भी
मेरे मामा ने मुझे अपना
सबसे बड़ा शत्रु समझा.
बड़ा होने पर मुझे ऋषि
सांदीपनि के आश्रम में
जाने का अवसर मिला.
जरासंध के प्रकोप के कारण, मुझे अपने
परिवार को यमुना से ले जाकर सुदूर प्रान्त,
समुद्र के किनारे द्वारका में बसना पड़ा.

*हे कर्ण...*
किसी का भी जीवन चुनौतियों से
रहित नहीं है.  सबके जीवन में
सब   कुछ   ठीक   नहीं   होता.
सत्य क्या है और उचित क्या है?
ये हम अपनी आत्मा की आवाज़
से   स्वयं   निर्धारित   करते   हैं.
इस बात से *कोई फर्क नहीं पड़ता,*
कितनी बार हमारे साथ अन्याय होता है.
इस बात से *कोई फर्क नहीं पड़ता,*
कितनी बार हमारा अपमान होता है.
इस बात से भी *कोई फर्क नहीं पड़ता,*
कितनी बार हमारे अधिकारों का हनन
होता है.
*फ़र्क़ तो सिर्फ इस बात से पड़ता है*
*कि हम उन सबका सामना किस प्रकार ज्ञान  के साथ करते हैं.*
*ज्ञान है तो ज़िन्दगी हर पल मौज़ है,*
*वरना समस्या तो सभी के साथ रोज है.*
🌹🙏ओउम् नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌹🕉️

"राम युग" में "दूध" मिले,और "कृष्ण युग" में "घी"!

"राम युग"  में "दूध" मिले,
और "कृष्ण युग" में  "घी"!
"कोरोना युग" में "दारु" मिले,
"डिस्टेंस" बना  कर  पी!
😜 😂 🍾🥃 😅 🙃
दुनिया लेके बैठी थी "परमाणु"
और ठोक गया एक "कीटाणु" 
जब जलने लगे अर्थव्यवस्था के फेफड़े
तब सरकार को याद आये बेवडे!

कल रात सपने में आया कोरोना..
उसे देख जो मैं डरा..
तो मुस्कुरा के बोला :-- मुझसे डरो ना..!

कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति..
न चूमते, न गले लगाते..
दोनों हाथ जोड़ कर तुम स्वागत करते..!
वही करो ना.. मुझसे डरो ना...!

कहाँ से सीखा तुमने ??
रूम स्प्रे, बॉडी स्प्रे..
पहले तो तुम धूप,दीप,कपूर, 
अगरबत्ती,लोभान जलाते..
वही करो ना..मुझसे डरो ना..!

शुरू से तुम्हें सिखाया गया..
अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो..
मत भूलो अपनी संस्कृति..
वही करो ना.. मुझसे डरो ना..!

सादा भोजन उच्च विचार..
यही तो है तेरे संस्कार..
उन्हें छोड़ जंक फूड, फ़ास्ट फूड के 
चक्कर में पड़ो ना..मुझसे डरो ना..!

शुरू से ही पशु पक्षियों को 
पाला पोसा प्यार दिया..
रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति..
उनका भक्षण करो ना..मुझसे डरो ना..!

कल रात सपने में आया 
"कोरोना".. बोला..
अपनी संस्कृति का ही 
पालन करो ना...मुझसे डरो ना..!
🙏 सतर्क रहो स्वस्थ रहो मस्त रहो 🙏

जरा इस पोस्ट को आगे फैलाना, मजाक बना रखा है मरीजो का।।

1 भारतीय ने जॉब छोड़कर कनाडा के 1 बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में सेल्समेन की नोकरी ज्वाइन की।

बॉस ने पूछा:- तुम्हे कुछ तज़ुर्बा है? उसने कहा कि हा थोड़ा बहुत है 

पहले दिन उस भारतीय ने पूरा मन लगाकर काम किया।
शाम के 6 बजे बॉस ने पूछा:- आज पहले दिन तुमने कितने सेल किये?

भारतीय ने कहा कि सर मैंने 1 सेल किया।

 बॉस चौंककर बोले:- क्या मात्र 1 ही सेल।
सामान्यत: यहाँ कार्य करने वाले हर सेल्समेन 20 से 30 सेल रोज़ाना करते हैं। अच्छा ये बताओं तुमने कितने रूपये का सेल किया।

93300 डॉलर । भारतीय बोला।

क्या! 

लेकिन तुमने यह कैसे किया? आश्चर्यजनक रूप से बॉस ने पूछा।

भारतीय ने कहा:- 1 व्यक्ति आया और मैंने उसे एक छोटा मछली पकड़ने का हुक बेचा।
फिर एक मझोला और फिर अंततः एक बड़ा हुक बेचा। फिर उसे मैंने 1 बड़ी फिशिंग रॉड और कुछ फिशिंग गियर बेचे।

फिर मैंने उससे पूछा कि तुम कहा मछली पकड़ोगे और उसने कहा कि वह कोस्टल एरिया में पकड़ेगा। 
तब मैंने कहा कि इसके लिए 1 नाव की ज़रूरत पड़ेगी। अतः मैं उसे नीचे बोट डिपार्टमेंट में ले गया और उसे 20 फीट की डबल इंजन वाली स्कूनर बोट बेच दी। 
जब उसने कहा कि यह बोट उसकी वोल्कस वेगन में नहीं आएगी।

तब मैं उसे अपने ऑटो मोबाइल सेक्शन में ले गया और उसे बोट केरी करने के लिए नई डीलक्स 4 × 4 ब्लेज़र बेचीं। और जब मैंने उसे पूछा कि तुम मछली पकड़ते वक़्त कहा रहोगे। उसने कुछ प्लान नहीं किया था। तो मैं उसे कैम्पिंग सेक्शन में ले गया और उसे six sleeper camper tent बेच दिया।
और तब उसने कहा कि उसने जब इतना सब कुछ ले ही लिया है तो 200 डॉलर की ग्रासरी और बियर के 2 केस भी लेगा।

अब बॉस 2 कदम पीछे हटा और बेहद ही भौचक्के अंदाज़ में पूछने लगा:- *तुमने इतना सब उस आदमी को बेच दिया जो केवल 1 fish hook खरीदने आया था*?

"NO, SIR,"
*वह तो केवल सरदर्द दूर करने की 1 टेबलेट लेने आया था। मैंने उसे समझाया कि मछली पकड़ना सरदर्द दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है*।

बॉस:- तुमने इसके पहले भारत में कहा काम किया था?

भारतीय :- जी मैं *प्राइवेट हॉस्पिटल में डॉक्टर था* घबराहट की मामूली शिकायत पर हम लोग, मरीजों से पैथोलॉजी, ईको, ईसीजी, टीएमटी,सी टी स्केन,एक्सरे, एम आर आई इत्यादि टेस्ट करवाते हैं।

बॉस:- तुम मेरी कुर्सी पर बेठो। मैं इंडिया मे ट्रेनिंग के लिये प्राइवेट हॉस्पिटल ज्वाईन करने जा रहा हूँ।
😥🤥😟

जरा इस पोस्ट को आगे फैलाना, मजाक बना रखा है मरीजो का ..😀😀😀

सभी भाइयों से निवेदन है - जरूरतमंद को बताए।

सभी भाइयों से निवेदन है कि अपने आसपास जेसे हाथ ठेला चलाने वाले,सब्जी का ठेला लगाने वाले, चाय कि गुमटी लगाने वाले,या फुटपाथ पर मजदूरी करने वाले भाईयो के लिए *(मुख्यमंत्री शहरी असंगठित कामगार का पंजीयन)* हो रहे है यह पंजीयन 26.6.2020 तक ही होगें.इस पंजीयन से 10000(दस हजार) का लोन पंजीयन कराने वाले को प्रदान किया जायेगा,ओर इस लोन पर 7%सबसिडी सरकार कि तरफ से दि जा रही है.🙏आपसे निवेदन है अापके आसपास अगर किसी व्यक्ति को इस लोन की आवश्यकता हो तो अपने आसपास MP online केन्द्र पर जाकर पंजीयन करा सकते.. हैं(पंजीयन कि आखिरी तारिख 26.6.2020 है)
--पंजीयन मे लगने वाले कागज़--
1.आधार कार्ड 
2.सम्रग आईडी 
3.बैक पासबुक चालु खाते कि
4.मोबाइल नं.जो आधार से लिंक हो.
🙏अपने आसपास जरूरतमंद को बताए।

जीवन में आगे बढ़ना है तो कभी कभी बहरे हो जाओ - GN मैसेज।

*_जीवन में आगे बढ़ना है तो कभी कभी बहरे हो जाओ ...!_*
*_क्योंकि अधिकतर लोगों की बातें मनोबल गिराने वाली होती हैं ... !!_* 

*_शुभ रात्री ..._*

Please do not send Good Morning Wishes/Messages - Why, Read Here

Please do not send Good Morning Wishes/Messages.
 Please read this warning coming from China from the Shanghai International News today it sent an SOS to all subscribers  (this is the third reminder) that experts advise & recommend: Please don't send Good morning, good night, or any funny festivals greetings such as pictures & movies etc..The reports state that hackers in China have designed the pictures, movies so perfectly for hiding phishing codes within them, when everybody forwards and sends those, they will go and steal personal information from your device. It is reported that more than 500,000 fraud victims have already been scammed. If you would like to greet one another, type your own message to protect yourself, as well as protecting your family and friends.
 (Very important). Delete all previously and later greeting designs, pictures for your own safety, and that of friends to avoid hackers phishing. THEY CONTAIN EMBEDDED "GIFs" PROGRAMS that steal your personal data, Credit Card numbers and Pin's.  Greet each other by typing own words or use completely self made picture, videos. Self created material is completely safe.

Please forward this to your contacts so you don't continue receiving the day and morning greetings that are pre-made.

दोनों हाथ उलीचिए यही सज्जन को काम - लघु कथा।

*दोनों हाथ उलीचिए यही सज्जन को काम*

कल मैं एक सूफी कहानी पढ़ता था। एक गरीब खानाबदोश तीर्थयात्रा से वापस लौट रहा था। रास्ते में उसे एक मरूद्यान में, भयंकर रेगिस्तान के बीच एक छोटे से मरूद्यान में पानी का इतना मीठा झरना मिला कि उसने अपनी चमड़े की बोतल में जल भर लिया। सोचा, अपने सम्राट को भेंट करूंगा। इतना प्यारा, इतना स्वच्छ उसने जल देखा नहीं था। और इतनी मिठास थी उस जल में।

भर लिया अपनी चमड़े की बोतल में और पहला काम उसने यही किया, राजधानी पहुंचा तो जाकर राजा के द्वार पर दस्तक दी। कहा, कुछ भेंट लाया हूं सम्राट के लिए। बुलाया गया। उसने बड़ी तारीफ की उस झरने की और कहा, यह जल लाया हूं। इतना मीठा जल शायद ही आपने जीवन में पिया हो। सम्राट ने थोड़ा सा जल लेकर पिया, खूब प्रसन्न हुआ, आनंदित हुआ। उस गरीब की झोली सोने की अशर्फियों से भर दी। उसे विदा किया।

दरबारियों ने भी कहा कि थोड़ा हम भी चखकर देखें। सम्राट ने कहा, रुको; पहले उसे जाने दो। जब वह चला गया तब सम्राट ने कहा, भूलकर मत पीना। बिल्कुल जहर हो गया है। लेकिन उस गरीब आदमी के प्रेम को देखो। जब उसने भरा होगा तो मीठा रहा होगा। लेकिन चमड़े की बोतल में, महीनों बीत गए उस जल को भरे हुए। वह बिल्कुल सड़ चुका है। जहरीला हो गया है। घातक भी हो सकता है। इसलिए मैंने एक ही घूंट पिया। और फिर मैंने बोतल सम्हालकर रख ली। उसके सामने मैं तुम्हें यह जल नहीं देना चाहता था क्योंकि मुझे भरोसा नहीं था तुममें इतनी समझ होगी कि तुम उसके सामने ही कह न दोगे कि यह जहर है। भूलकर भी इसे पीना मत।

स्वच्छ से स्वच्छ जल भी जब झरनों में नहीं बहता तो जहरीला हो जाता है। तुम्हारे आंसू अगर तुम्हारे आंख के झरनों से न बहे, तुम्हारे शरीर में जहर होकर रहेंगे। तुम्हारे रोएं अगर आनंद में नाचना चाहते थे, न नाचे तो तुम्हारे भीतर वही ऊर्जा जहर बन जाएगी।

इस जगत् में लोग इतने कडुवे क्यों हो गए हैं?

इसीलिए हो गए हैं। इतना तिक्त स्वाद हो गया है लोगों में। शब्द बोलते हैं तो उनके शब्दों में जहर है। गीत भी गाएं तो उनके गीतों में गालियों की धुन होती है। सब जहरीला हो गया है। क्योंकि जीवन एक कला भूल गया है बांटने की, देने की, लुटाने की। लुटाओ! ‘दोनों हाथ उलीचिए यही सज्जन को काम।

‘लोग पागल कहें, ठीक ही कहते हैं। बुरा न मानना। जो पागल कहे उसको भी बांटना। कौन जाने! तुम्हें पागल कहने में भी तुम्हारे प्रति उसका आकर्षण ही कारण हो। कौन जाने! तुम्हें पागल कहकर वह अपनी सिर्फ सुरक्षा कर रहा हो।

सुंदर कथा||जय राधे कृष्ण वंदना || आज ही साझा करें!

🌸सुंदर कथा.🌸
||जय राधे कृष्ण वंदना ||🌸

🍁कन्धे पर कपड़े का थान लादे और हाट-बाजार जाने की तैयारी करते हुए नामदेव जी से पत्नि ने कहा- भगत जी! आज घर में खाने को कुछ भी नहीं है।
आटा,नमक,दाल,चावल, गुड़ और शक्कर सब खत्म हो गए हैं। शाम को बाजार से आते हुए घर के लिए राशन का सामान लेते आइएगा।
🍁भक्त नामदेव जी ने उत्तर दिया- देखता हूँ जैसी विठ्ठल जीकी कृपा।अगर कोई अच्छा मूल्य मिला,तो निश्चय ही घर में आज धन-धान्य आ जायेगा।
🍁पत्नि बोली संत जी! अगर अच्छी कीमत ना भी मिले,तब भी इस बुने हुए थान को बेचकर कुछ राशन तो ले आना। घर के बड़े-बूढ़े तो भूख बर्दाश्त कर लेंगे। पर बच्चे अभी छोटे हैं,उनके लिए तो कुछ ले ही आना।
🍁जैसी मेरे विठ्ठल की इच्छा।ऐसा कहकर भक्त नामदेव जी हाट-बाजार को चले गए।
🍁बाजार में उन्हें किसी ने पुकारा- वाह भाई ! कपड़ा तो बड़ा अच्छा बुना है और ठोक भी अच्छी लगाई है।तेरा परिवार बसता रहे। ये फकीर ठंड में कांप-कांप कर मर जाएगा। दया के घर में आ और रब के नाम पर दो चादरे का कपड़ा इस फकीर की झोली में डाल दे।
🍁भक्त नामदेव जी- दो चादरे में कितना कपड़ा लगेगा फकीर जी?
🍁फकीर ने जितना कपड़ा मांगा, इतेफाक से भक्त नामदेव जी के थान में कुल कपड़ा उतना ही था।और भक्त नामदेव जी ने पूरा थान उस फकीर को दान कर दिया।
🍁दान करने के बाद जब भक्त नामदेव जी घर लौटने लगे तो उनके सामने परिजनो के भूखे चेहरे नजर आने लगे।फिर पत्नि की कही बात,कि घर में खाने की सब सामग्री खत्म है। दाम कम भी मिले तो भी बच्चो के लिए तो कुछ ले ही आना।
🍁अब दाम तो क्या,थान भी दान जा चुका था।भक्त नामदेव जी एकांत मे पीपल की छाँव मे बैठ गए।
🍁जैसी मेरे विठ्ठल की इच्छा।जब सारी सृष्टि की सार पूर्ती वो खुद करता है, तो अब मेरे परिवार की सार भी वो ही करेगा।और फिर भक्त नामदेव जी अपने हरिविठ्ठल के भजन में लीन गए।
🍁अब भगवान कहां रुकने वाले थे। भक्त नामदेव जी ने सारे परिवार की जिम्मेवारी अब उनके सुपुर्द जो कर दी थी।
🍁अब भगवान जी ने भक्त जी की झोंपड़ी का दरवाजा खटखटाया।
🍁नामदेव जी की पत्नी ने पूछा- कौन है?
🍁नामदेव का घर यही है ना? भगवान जी ने पूछा।
🍁अंदर से आवाज हां जी यही आपको कुछ चाहिये 
भगवान सोचने लगे कि धन्य है नामदेव जी का परिवार घर मे कुछ भी नही है। फिर ह्र्दय मे देने की सहायता की जिज्ञयासा है।
🍁भगवान बोले दरवाजा खोलिये
🍁लेकिन आप कौन?
🍁भगवान जी ने कहा- सेवक की क्या पहचान होती है भगतानी?
जैसे नामदेव जी विठ्ठल के सेवक,वैसे ही मैं नामदेव जी का सेवक हूँ।
🍁ये राशन का सामान रखवा लो। पत्नि ने दरवाजा पूरा खोल दिया।
फिर इतना राशन घर में उतरना शुरू हुआ,कि घर के जीवों की घर में रहने की जगह ही कम पड़ गई।
इतना सामान! नामदेव जी ने भेजा है? मुझे नहीं लगता।
पत्नी ने पूछा।

🍁भगवान जी ने कहा- हाँ भगतानी! आज नामदेव का थान सच्ची सरकार ने खरीदा है।
🍁जो नामदेव का सामर्थ्य था उसने भुगता दिया। और अब जो मेरी सरकार का सामर्थ्य है वो चुकता कर रही है।
जगह और बताओ।
सब कुछ आने वाला है भगत जी के घर में।
🍁शाम ढलने लगी थी और रात का अंधेरा अपने पांव पसारने लगा था।
🍁समान रखवाते-रखवाते पत्नि थक चुकी थीं। बच्चे घर में अमीरी आते देख खुश थे। वो कभी बोरे से शक्कर निकाल कर खाते और कभी गुड़। कभी मेवे देख कर मन ललचाते और झोली भर-भर कर मेवे लेकर बैठ जाते। उनके बालमन अभी तक तृप्त नहीं हुए थे।
🍁भक्त नामदेव जी अभी तक घर नहीं आये थे,पर सामान आना लगातार जारी था।
🍁आखिर पत्नी ने हाथ जोड़ कर कहा- सेवक जी! अब बाकी का सामान संत जी के आने के बाद ही आप ले आना। हमें उन्हें ढूंढ़ने जाना है क्योंकी वो अभी तक घर नहीं आए हैं।
🍁भगवान जी बोले- वो तो गाँव के बाहर पीपल के नीचे बैठकर विठ्ठल सरकार का भजन-सिमरन कर रहे हैं। अब परिजन नामदेव जी को देखने गये
🍁सब परिवार वालों को सामने देखकर नामदेव जी सोचने लगे, जरूर ये भूख से बेहाल होकर मुझे ढूंढ़ रहे हैं।
🍁इससे पहले की संत नामदेव जी कुछ कहते
उनकी पत्नी बोल पड़ीं- कुछ पैसे बचा लेने थे।
अगर थान अच्छे भाव बिक गया था, तो सारा सामान संत जी आज ही खरीद कर घर भेजना था क्या?
🍁भक्त नामदेव जी कुछ पल के लिए विस्मित हुए।
फिर बच्चों के खिलते चेहरे देखकर उन्हें एहसास हो गया, कि जरूर मेरे प्रभु ने कोई खेल कर दिया है।
🍁पत्नि ने कहा अच्छी सरकार को आपने थान बेचा और वो तो समान घर मे भैजने से रुकता ही नहीं था।
🍁पता नही कितने वर्षों तक का राशन दे गया।
उससे मिन्नत कर के रुकवाया- बस कर! बाकी संत जी के आने के बाद उनसे पूछ कर कहीं रखवाएँगे।
🍁भक्त नामदेव जी हँसने लगे और बोले- ! *वो सरकार है ही ऐसी।*
*🍁जब देना शुरू करती है तो सब लेने वाले थक जाते हैं।*
*🍁उसकी बख्शीश कभी भी खत्म नहीं होती।* वह सच्ची सरकार की तरह सदा कायम रहती है।
🌸जय श्री राधेकृष्ण..👣🌸

Monday, 1 June 2020

जरा सी जिन्दगी में, व्यवधान बहुत हैं - Good Night

*_जरा सी जिन्दगी में, व्यवधान बहुत हैं,_*
*_तमाशा देखने को यहाँ, इन्सान बहुत हैं !!_*
*_खुद ही बनाते हैं हम, पेचीदा जिंदगी को,_*
*_वर्ना तो जीने के नुस्खे, आसान बहुत हैं !!_* 

*_शुभ रात्रि ..._*